Monday, June 25, 2018

इस तरह से शिव का अभिषेक करने पर पूरी होगी मनोकामना

1. घर में शिव पूजा करने की विधि

भगवान शिव को देवों का देव महादेव कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि सभी देवताओं में शिव ही ऐसे देव हैं जो अपने भक्त से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। शिव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी लिंग रूप में भी आराधना की जाती है
2. अलग है शिव उपासना
भोले को प्रसन्न करने के लिए अनेक ऐसी चीजें पूजा में अर्पित की जाती हैं जो और अन्य किसी देवता की पूजा में नहीं चढ़ाई जातीं। शिव की पूजा में बिल्वपत्र, भांग और धतूरा आदि का अर्पण किया जाता है। लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिन्हें भगवान शिव की आराधना में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
3. पूजन के लिए सामग्री 
भोले की उपासना के लिए पूजन शुरू करने से पहले तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, दूध, अर्पित किए जाने वाले वस्त्र। चावल, अष्टगंध, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, चंदन, धतूरा, अकुआ के फूल, बिल्वपत्र, जनेऊ, फल, मिठाई, नारियल, पंचामृत, पान और दक्षिणा एकत्रित कर लें।
4. संकल्प के लिए यह करें
पूजन शुरू करने से पहले उपासक के संकल्प लेने का प्रावधान होता है। इसके लिए हाथ में जल, फूल और चावल लेकर देवता का आह्वान करते हुए अपने नाम और मनोकामना के साथ संकल्प लें। हाथों में लिए गए जल को पृथ्वी पर छोड़ दें।


5. शिव आह्वान
संकल्प लेने के बाद ‘ऊं साम्ब शिवाय नम:’ आव्हानयामि स्थापयामि कहते हुए मूर्ति पर चावल अर्पित कर दें। इसका मतलब है कि आप भगवान को अपने घर में आमंत्रित कर रहे हैं।
6. आसन दें और पैर धुलवाएं
‘ऊं साम्ब शिवाय नम: आसनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि’ मंत्र का जप करते हुए भगवान को आसन दें। इसका तात्पर्य है आपने प्रभु को घर पर बुलाने के बाद विराजमान होने के लिए आसन दिया है। इसके बाद भगवान के चरण धुलवाएं
7. हाथ धुलवाकर आचमन कराएं
भोले के हाथ धुलवाकर आचमन के लिए जल छोड़ें। इसके बाद पंचामृत से स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराएं। अब वस्त्र अर्पित कर चंदन, अष्टगंध आदि सुगंधित द्रव्य लगाएं।
8. बिल्वपत्र चढ़ाएं
इसके बाद ‘ऊं साम्ब शिवाय नम: बिल्वपत्रं समर्पयामि’ का उच्चारण करते हुए भोले को 11 या 21 बिल्व पत्र अर्पित कर धूप और दीप दिखाएं। इसके बाद भोले के षडाक्षरी मंत्र ‘ऊं नम: शिवाय’ का अपनी श्रद्धानुसार जप कर शिव आरती करें।
9. महामृत्युंजय मंत्र
यदि आप षडाक्षरी मंत्र के साथ महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहते हैं तो एक या दो माला जप करके आरती करके प्रसाद का भोग लगाए और मौजूद भक्तों में वितरित कर दें


10. हल्दी नहीं चढ़ाएं

धार्मिक कार्यों में हल्दी का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है। लेकिन शिवजी की पूजा में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती। हल्दी का प्रयोग सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है। शास्त्रों में शिवलिंग को पुरुषत्व का प्रतीक माना गया है, इस कारण महादेव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती।

11. ये फूल चढ़ाएं

शिव पूजा में कनेर और कमल के अलावा लाल रंग के फूल प्रिय नहीं हैं। केतकी और केवड़े के फूल चढ़ाने का भी निषेध है। भोलेनाथ सफेद रंग के फूलों से जल्दी प्रसन्न होते हैं। सफेद शुभ्रता का प्रतीक है।

12. अनार का रस

भगवान शिव के अभिषेक के लिए अनार के रस या गन्ने के रस का प्रयोग सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त अनार के जूस से अभिषेक करते हैं, प्रभु उनकी सभी इच्छाएं पूरी करते हैं।


13. नहीं बजाए शंख

शिवजी की आराधना में शंख को वर्जित माना गया है। हालांकि शंख भोलेनाथ को प्रिय है लेकिन शिवजी ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में प्रयोग नहीं किया जाता।

14. तुलसी दल

तुलसी का पत्ता भी भगवान शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा नारियल पानी से भी भगवान शिव का अभिषेक नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में नारियल को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। इसलिए इसे शुभ कार्यों में प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

15. इच्छापूर्ति के लिए ये फूल

शिव पूजा में वाहन सुख के लिए चमेली का फूल, धनवान बनने के लिए बिल्वपत्र, विवाह में रुकावट दूर करने के लिए बेला का फूल, पुत्र प्राप्ति के लिए धतूरे का फूल और मानसिक तनाव दूर करने के लिए शेफालिका के फूल चढ़ाएं।


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